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Showing posts from April, 2025

🛡️ साइबर अपराध में बैंक खातों की अंधाधुंध फ्रीज़िंग: दिल्ली हाईकोर्ट की चेतावनी और नीति सुधार की आवश्यकता लेखक: राजेश गुप्ता, साइबर क्राइम इन्वेस्टगैटर

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 🔍 परिचय राजेश गुप्ता  साइबर क्राइम इन्वेस्टगैटर  हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने साइबर अपराध की जांच के दौरान बैंक खातों को अंधाधुंध फ्रीज़ करने की प्रवृत्ति पर गंभीर चिंता व्यक्त की है। न्यायमूर्ति मनोज जैन की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा कि जांच एजेंसियों को इस प्रक्रिया में सावधानी, विवेक और करुणा का पालन करना चाहिए, ताकि निर्दोष नागरिकों को अनावश्यक वित्तीय कठिनाइयों का सामना न करना पड़े। ⚖️ प्रमुख मामला: नीलकंठ फार्मा लॉजिस्टिक्स बनाम भारत सरकार इस मामले में, नीलकंठ फार्मा लॉजिस्टिक्स प्राइवेट लिमिटेड की एचडीएफसी बैंक में ₹93.50 करोड़ की निकासी योग्य राशि थी। महाराष्ट्र के वर्तकनगर पुलिस स्टेशन के निर्देश पर, ₹200 की एक संदिग्ध जमा के आधार पर, कंपनी का पूरा खाता फ्रीज़ कर दिया गया। अदालत ने इस कार्रवाई को "अत्यधिक और अनुचित" बताया, जिससे कंपनी के कई चेक बाउंस हो गए और व्यापारिक गतिविधियाँ बाधित हुईं । 🧾 अन्य महत्वपूर्ण मामलों की झलक पवन कुमार राय बनाम भारत संघ (2024): एक चोले-भटूरे विक्रेता का खाता ₹105 की संदिग्ध लेन-देन के कारण फ्रीज़ कर दिया गया। अदालत ने ...

🛑 जब रक्षक ही भक्षक बन जाएं: हर नागरिक के लिए एक चेतावनी राजेश गुप्ता, साइबर क्राइम इन्वेस्टगैटर के दृष्टिकोण से

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  ⚠️ भरोसे के साथ सबसे बड़ा धोखा हाल ही में दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के तीन वरिष्ठ अधिकारियों को उन्हीं की एजेंसी की हिरासत में भेजने का आदेश दिया। इन अधिकारियों पर आरोप है कि इन्होंने जांच प्रभावित करने के लिए रिश्वत मांगी — एक ऐसा अपराध जो हमारे न्याय प्रणाली की जड़ों को हिला देता है। जस्टिस नीना बंसल कृष्णा ने स्पष्ट रूप से कहा कि “प्रमुख जांच एजेंसी में इस तरह की भ्रष्टाचार की घटनाएं हमारी कार्यपालिका और जांच तंत्र की पूरी नींव को हिला देती हैं।” 💰 शक्ति का दुरुपयोग: जांच नहीं, सौदा हो रहा है इन मामलों में आरोप है कि CBI के अधिकारी दो मामलों को "निपटाने" के लिए ₹50 लाख की मांग कर रहे थे, जिसे बाद में ₹35 लाख तक तय कर लिया गया। एक अन्य मामले में वित्त मंत्रालय के एक अधिकारी ने Enforcement Directorate के अधिकारियों से “बात कराने” के नाम पर UPI के माध्यम से ₹50,000 की रिश्वत मांगी। एक CBI अधिकारी को ₹3.5 लाख की रिश्वत लेते हुए रंगे हाथों पकड़ा गया — जो यह दर्शाता है कि ये भ्रष्टाचार केवल आरोप नहीं, बल्कि वास्तविकता है। 🧩 यह एक प्रणालीगत सम...

कश्मीर हमले के बाद साइबर मोर्चे पर पाकिस्तान की नापाक साजिशें: लेखक: राजेश गुप्ता, साइबर क्राइम इन्वेस्टगैटर

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     कश्मीर में हालिया आतंकी हमले और भारत सरकार की कड़ी सैन्य एवं कूटनीतिक कार्रवाई के बाद पाकिस्तान बुरी तरह बौखलाया हुआ है। वह जान चुका है कि वह भारत से सीधे युद्ध नहीं लड़ सकता। इसी बौखलाहट में अब पाकिस्तान साइबर हमलों के माध्यम से भारत को अस्थिर करने की नापाक कोशिश कर सकता है।      भारत की सेना , खुफिया एजेंसियाँ और साइबर सुरक्षा संस्थान पूरी तरह से अलर्ट मोड में हैं। फिर भी पाकिस्तान अपनी हार की जलन मिटाने के लिए डिजिटल मोर्चे पर हमला करने का दुस्साहस कर सकता है। पाकिस्तान की संभावित साइबर साजिशें: सरकारी वेबसाइट्स पर हमला: वेबसाइट्स को हैक कर , डेटा चुराकर या सेवाओं को ठप कर सरकार की छवि को नुकसान पहुँचाने का प्रयास। बैंकिंग और वित्तीय संस्थाओं को निशाना बनाना: डिजिटल बैंकिंग सिस्टम में सेंधमारी कर आर्थिक अस्थिरता फैलाने की कोशिश। स्वास्थ्य क्षेत्र पर साइबर हमला: अस्पतालों के डिजिटल नेटवर्क को हैक कर स्वास्थ्य सेवाओं को बाधित करना , जिससे आपात स्थिति में जान-माल का नुकसान हो सके। बड़े ...

“Even the Accused Deserve Dignity” – A Wake-Up Call from the Supreme Court ,By Rajesh Gupta, Cyber Crime Investigator

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  Introduction           The Supreme Court of India has once again asserted the fundamental principle that “justice must be humane.” In a recent ruling concerning a case from Haryana, the apex court made it explicitly clear that no authority, not even the police, can violate the constitutional rights of an individual—even if they are an accused. The judgment is a timely reminder of the legal safeguards enshrined in the Constitution and reinforced by previous landmark rulings, such as the Arnesh Kumar v. State of Bihar case. The Case of Vijay Pal Yadav: A Reflection of Police Misconduct           The case came to the Supreme Court as an appeal by Vijay Pal Yadav, who alleged that he was illegally arrested by the Haryana Police, in clear violation of the Arnesh Kumar guidelines. He also claimed he was subjected to physical abuse both during and after the arrest.           The...

WiFi Pineapple Mark VII – A Hacker’s Tool or a Cyber Threat? By Rajesh Gupta, Cyber Crime Investigator

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               In the ever-evolving landscape of cybersecurity, new tools are constantly being developed to test and improve network defenses. Among these, the Wi-Fi Pineapple Mark VII , created by Hak5, stands out as a powerful wireless auditing device. While its intended use is ethical penetration testing and network analysis, the same device is increasingly being misused by cyber criminals to attack public and private Wi-Fi networks , posing serious risks to individuals, organizations, and national security. What is the Wi-Fi Pineapple? The Wi-Fi Pineapple Mark VII is a compact and advanced Wi-Fi auditing tool designed primarily for network penetration testers. It allows users to analyze wireless networks, capture data packets, and simulate rogue access points. It can be used to detect security weaknesses and improve the safety of wireless infrastructures. However, in the wrong hands, it becomes a silent weapon for cybercrime . How Cy...